क्रोध का परिणाम – गौतम बुद्ध की प्रेरणादायक कथा
गौतम बुद्ध और गुस्से से भरा व्यक्ति
एक बार की बात है, गौतम बुद्ध एक गाँव में अपने शिष्यों के साथ बैठे हुए थे। दूर-दूर से लोग उनके उपदेश सुनने आते थे। उनकी करुणा, शांति और धैर्य से प्रभावित होकर कई लोग उनके अनुयायी बन चुके थे। लेकिन हर कोई बुद्ध की शिक्षाओं को स्वीकार नहीं करता था।
उसी गाँव में एक व्यक्ति था, जिसे बुद्ध के प्रति ईर्ष्या थी। वह उनके विचारों और प्रसिद्धि से नाराज था। एक दिन, वह क्रोध से भरा हुआ बुद्ध के पास पहुँचा और उनके सामने अपशब्द कहने लगा। उसने उनका अपमान किया और बुरा-भला कहा।
बुद्ध की शांति और उत्तर
बुद्ध शांत बैठे रहे। उनके चेहरे पर कोई क्रोध या असंतोष नहीं था। वे पूरी शांति के साथ उस व्यक्ति की बात सुनते रहे। जब वह व्यक्ति चिल्ला-चिल्लाकर थक गया, तो बुद्ध मुस्कुराए और धीरे से बोले:
"यदि कोई व्यक्ति आपको उपहार देता है, और आप उसे स्वीकार नहीं करते, तो वह उपहार किसका रहेगा?"
क्रोधित व्यक्ति चकित रह गया। उसने जवाब दिया,
"अगर मैं उपहार स्वीकार नहीं करता, तो वह उसी का रहेगा जिसने दिया है।"
बुद्ध मुस्कुराए और बोले,
"ठीक वैसे ही, यदि मैं तुम्हारे अपशब्द और क्रोध को स्वीकार नहीं करता, तो यह तुम्हारा ही रहेगा। क्रोध और अपमान मेरे ऊपर कोई प्रभाव नहीं डाल सकते, जब तक कि मैं उन्हें ग्रहण न करूँ।"
व्यक्ति का हृदय परिवर्तन
वह व्यक्ति हतप्रभ रह गया। उसे समझ आ गया कि उसका क्रोध केवल उसे ही जला रहा था, जबकि बुद्ध की शांति अडिग बनी रही। उसने बुद्ध के चरणों में गिरकर क्षमा मांगी और कहा,
"भगवान, मुझे क्षमा करें। आज आपने मुझे सिखा दिया कि क्रोध को पकड़े रखना जलते हुए कोयले को पकड़ने जैसा है। यह पहले मुझे ही जलाता है।"
बुद्ध ने उसे प्रेमपूर्वक उठाया और कहा,
"क्रोध पर विजय पाना ही सच्ची शक्ति है। क्षमा और धैर्य से बड़ा कोई बल नहीं होता।"
इस कथा से सीख
गौतम बुद्ध का यह विचार हमें सिखाता है कि –
👉 क्रोध हमें ही सबसे अधिक नुकसान पहुँचाता है।
👉 जो हमें अपशब्द कहता है, उसका क्रोध तभी प्रभावी होगा जब हम उसे स्वीकार करें।
👉 शांति और धैर्य से ही जीवन में सफलता और खुशी मिलती है।
"क्रोध को पकड़कर रखना ऐसे है जैसे आप खुद जलते हुए कोयले को किसी और पर फेंकने की इच्छा रखते हों – यह पहले आपको ही जलाता है।" – गौतम बुद्ध
तो आज से, क्रोध को
छोड़ें और शांति को अपनाएँ! 😊✨
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें