डॉ. भीमराव अंबेडकर: जीवन, संघर्ष और योगदान
परिचय
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर (B.R. Ambedkar) भारतीय संविधान के निर्माता, समाज सुधारक और न्याय के प्रतीक थे। उन्होंने दलितों, पिछड़ों और समाज के वंचित वर्गों के अधिकारों के लिए जीवनभर संघर्ष किया।
प्रारंभिक जीवन
जन्म: 14 अप्रैल 1891, महू (मध्य प्रदेश)
माता-पिता: रामजी मालोजी सकपाल और भीमाबाई
जाति: महार (अस्पृश्य मानी जाने वाली जाति)
शिक्षा: बॉम्बे विश्वविद्यालय, कोलंबिया विश्वविद्यालय (अमेरिका), लंदन स्कूल ऑफ इकॉनॉमिक्स
संघर्ष और सामाजिक आंदोलन
अस्पृश्यता और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ संघर्ष
1927 में महाड़ सत्याग्रह, जिसमें दलितों को सार्वजनिक जलस्रोतों से पानी पीने का अधिकार दिलाने के लिए आंदोलन किया
1930 में कालाराम मंदिर आंदोलन
"बहिष्कृत भारत" और "मूकनायक" जैसे पत्रों के माध्यम से दलितों की आवाज़ उठाई
संविधान निर्माण और राजनीति
1947 में स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने
भारतीय संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में संविधान का निर्माण किया
हिंदू कोड बिल लाकर महिलाओं को संपत्ति और विवाह में अधिकार दिलाए
बौद्ध धर्म ग्रहण
14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में अपने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपनाया
नवयान बौद्ध आंदोलन की शुरुआत की
महान विचार और योगदान
समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के सिद्धांत
शिक्षा को हर वर्ग के लिए सुलभ बनाने पर जोर
"शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो" का नारा दिया
निधन और सम्मान
6 दिसंबर 1956 को दिल्ली में उनका निधन हुआ
मरणोपरांत 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किए गए
निष्कर्ष
डॉ. बी. आर. अंबेडकर का जीवन संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक है। उन्होंने भारतीय समाज में समता और न्याय की नींव रखी और लाखों लोगों को हक और सम्मान दिलाया। उनकी शिक्षाएं और विचार आज भी प्रासंगिक हैं और सामाजिक परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
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